20 साल से अधिक समय से किराया, लीज अथवा लाइसेंस फीस देने वाले संपत्ति धारक मालिकाना हक कर सकते हैं प्राप्त
कब्जाधारियों को वर्तमान कलेक्टर दर पर अधिकतम 50 प्रतिशत तक की छूट
CHANDIGARH: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 20 साल से अधिक समय से किराये या लीज अथवा लाइसेंस फीस पर चल रही पालिकाओं की दुकानों व मकानों की मलकीयत उन पर काबिज व्यक्तियों को देने की घोषणा के अनुरूप आज ‘मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना पोर्टल’ www.ulb.shops.ulbharyana.gov.in लॉन्च किया है। इस पोर्टल पर पात्र लाभार्थियों से आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे और काबिज़ व्यक्ति को मालिकाना हक के लिए कलेक्टर रेट से भी कम रेट की अदायगी करनी होगी।
मुख्यमंत्री ने आज यहां प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि इस पोर्टल पर 1 जुलाई, 2021 से आवेदन आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू होगी। मनोहर लाल ने कहा कि इस योजना की घोषणा के बाद से अब तक शहरी स्थानीय निकाय विभाग के पास 16000 आवेदकों का डाटा उपलब्ध है। जैसे जैसे आवेदन आएंगे इसलिए यह संख्या बढ़ने की संभावना है। इसलिए एक साप्ताहिक योजना बनाई गई है, जिसके अंतर्गत एक सप्ताह में 1000 आवेदनों के बाद आवेदन स्वीकार करने की प्रक्रिया स्वतः ही बंद हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि आवेदन प्राप्ति के एक माह के अन्दर अधिकारी सभी आवेदनों की जांच पड़ताल करेंगे । यदि कोई क्लेम/दावे आते हैं तो उसके एक माह की समाप्ति के पश्चात सक्षम प्राधिकारी उनकी जांच पड़ताल करके सम्बन्धित आवेदन पर अपना अंतिम निर्णय अंकित करेंगे।
उन्होंने कहा कि आवेदकों के लिए विशेष रूप से डैशबोर्ड बनाया गया है, जिस पर आवेदक अपने आवेदन का विवरण देख सकेगा। इससे मैन्युअल पंजीकरण प्रक्रिया पूरी तरह से समाप्त होगी।
मनोहर लाल ने कहा कि यदि किसी ने पालिका के आबंटित भवन के तल/क्षेत्रफल से अधिक निर्माण किया है तो उसे (उसके द्वारा किये गये अतिरिक्त क्षेत्रफल गुणा 1000 रुपये) अतिरिक्त राशि जमा करनी होगी।
उन्होंने कहा कि यदि आवेदक पालिका से नियमानुसार आबंटित/सबलैटी नहीं है परन्तु पॉलिसी की सभी योग्यताएं पूर्ण करता है तो उसे पॉलिसी में उल्लिखित अदा की जानी वाली राशि व टैक्स के अतिरिक्त 30,000 रुपये का एकमुश्त नियमित शुल्क भी भरना होगा।
उल्लेखनीय है कि हरियाणा सरकार ने एक नीति तैयार की है जिसके तहत किरायेदार को स्वामित्व अधिकार प्राप्त करने के लिए वर्तमान कलेक्टर दर से कम भुगतान करना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस नीति के अंतर्गत पालिका की तहबाजारी पर दी गई भूमि जिस पर मकान/दुकान हो या किराए/लीज/ लाइसैंस फीस/तहबाजारी पर दिये गये दुकान/मकान जिनकी अवधि 20 वर्ष या उससे अधिक अवधि 31 दिसंबर, 2020 को हो गई हैं, के कानूनी कब्जाधारियों को मलकीयत का अधिकार दिया जायेगा।
उन्होंने कहा कि जिन्हें किराए/लीज/ लाइसैंस फीस/तहबाजारी मकान/दुकान लिए 20 वर्ष हो गए हैं, उन्हें वर्तमान कलेक्टर रेट पर 20 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। इसी प्रकार, जिन्हें 50 वर्ष हो गए हैं उन्हें 50 प्रतिशत तक की छूट दी जाएगी। इसके अलावा, यदि किसी कब्जाधारी को 50 वर्ष से अधिक हुए हैं, तो उस स्थिति में उसे वर्तमान कलेक्टर रेट पर अधिकतम 50 प्रतिशत की ही छूट दी जाएगी।
मनोहर लाल ने कहा कि सक्षम प्राधिकारी द्वारा योग्य पाये गये आवेदकों से सम्बन्धित पालिकायें 15 दिन के अन्दर अदा की जाने वाली राशि का नोटिस जारी करेंगी। नोटिस जारी करने की तिथि से 15 दिन के अन्दर कुल निर्धारित राशि की 25 प्रतिशत राशि सम्बन्धित पालिका में जमा करानी होगी तथा शेष 75 प्रतिशत राशि आगामी तीन माह में जमा करानी होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पालिका द्वारा भूमि या उस पर निर्मित भवन जो एक या एक से अधिक कब्जाधारियों को आबंटित किया हुआ हो, तो उस पर तय फॉर्मूला के अनुसार राशि की अदायगी करनी होगी।
उन्होंने कहा कि यदि केवल एक आबंटी को निर्मित भवन आबंटन किया जाना है तो उसके लिए बेस रेट की अदायगी करनी होगी। यदि नगरपालिका ने दो तल का निर्माण किया है तथा प्रत्येक तल विभिन्न आबंटियों को देना हो तो भू-तल के लिए बेस रेट का 60 प्रतिशत और प्रथम तल के लिए बेस रेट का 40 प्रतिशत राशि का भुगतान करना होगा।
इसी प्रकार, यदि नगरपालिका ने तीन मंजिल भवन का विभिन्न आबंटियों को आबंटन करना हो तो भू-तल के लिए बेस रेट का 50 प्रतिशत, प्रथम तल के लिए बेस रेट का 30 प्रतिशत और द्वितीय तल के लिए बेस रेट का 20 प्रतिशत राशि का भगुतान करना होगा।
उन्होंने कहा कि यदि पालिका ने दो तल या तीन तल के भवन विभिन्न आबंटियों को आबंटित किये हुये हों तो छत का अधिकार ऊपरी तल के आवेदक का होगा परंतु इस पर अतिरिक्त निर्माण का अधिकार नहीं होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने राजस्व रास्तों की भूमि के आदान-प्रदान के आदेश जारी किए थे। इनके अलावा भी पालिकाओं में काफी जमीनें अलग-अलग टुकड़ों में विद्यमान हैं जिनका कोई उपयोग नहीं हो रहा है और इन पर अवैध कब्जा होने की संभावना बनी रहती है। इसलिए इन जमीनों को बेचने के लिए पालिकाओं को ही अधिकार देने का निर्णय लिया है। इससे इन जमीनों पर अवैध कब्जे की आशंका नहीं रहेगी और पालिकाओं की वित्तीय स्थिति भी मजबूत होगी।
उन्होंने कहा कि इन जमीनों के मूल्य निर्धारण की व्यवस्था बनाई जाएगी और तय की गई कीमत पर आवेदन मांगे जाएंगे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव डीएस ढेसी, शहरी स्थानीय निकाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एसएन राय, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव और सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के महानिदेशक डॉ. अमित अग्रवाल, सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव विजयेंद्र कुमार, शहरी स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक अशोक कुमार मीणा के अलावा मुख्यमंत्री के प्रधान मीडिया सलाहकार विनोद मेहता भी उपस्थित थे।