CHANDIGARH: पंजाब सरकार ने आज मिकोरमायकोसिस के इलाज और पहचान संबंधी दिशा-निर्देश जारी किये हैं। इस संबंधी जानकारी देते हुए स्वास्थ्य मंत्री स. बलबीर सिंह सिद्धू ने बताया कि राज्य सरकार पहले ही मिकोरमाईकोसिस जोकि ब्लैक फंगस के नाम से प्रसिद्ध है, को एक अधिसूचित बीमारी घोषित किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस एक गंभीर फंगल इन्फैक्शन है जो नाक, साइनस, आँखों और कुछ मामलों में व्यक्ति के दिमाग को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। पंजाब सरकार ने मिकोरमाईकोसिस से निजात पाने और प्रबंधन के लिए माहिर समूह की सलाह पर इस बीमारी (ब्लैक फंगस) की पहचान, इलाज और सभ्यक प्रबंधन की सिफारिश की है।
स. सिद्धू ने कहा कि सरकारी मैडीकल कॉलेजों और सिविल सर्जन कार्यालयों में ‘‘मिकोरमाईकोसिस ऑडिट कमेटी’’ बनाने की सिफारिश को पास कर दिया गया है और यह कमेटी सरकारी और निजी अस्पतालों से मिकोरमाईकोसिस के पुष्ट मामलों के आंकड़ों को एकत्रित करने के लिए जिम्मेदार होगी।
उन्होंने कहा कि यह कमेटी हर केस के नतीजे एस3 पोर्टल पर भी दर्ज करेगी। इलाज संबंधी दवाएँ सरकारी मैडीकल कॉलेज और सिविल सर्जन कार्यालयों को जारी की जाएंगी जिससे सभी सरकारी और प्राईवेट अस्पतालों को उपलब्ध करवाई जा सकें। उन्होंने कहा कि दवाओं की प्राथमिकता मरीज की क्लिनीकल स्थिति के अनुसार इलाज करने वाले अस्पताल / इलाज करने वाले डॉक्टर की तरफ से तय की जाएगी।
स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा कि अगर मरीज की जान को कोई तुरंत जोखिम नहीं है तो मिकोरमाईकोसिस के मरीज को सर्जरी के लिए नहीं लेजाया जाना चाहिए अगर वह कोविड पॉजिटिव / हाईपॉक्सिक है।
उन्होंने कहा कि यदि हाईपॉक्सिया का कोई लक्षण मरीज में मौजूद नहीं है तो स्टीरॉयड के साथ इलाज करने की कोई सिफारिश नहीं है। हाईपॉक्सिक मरीज के लिए एमआरआई स्कैन को वैकल्पिक बनाया जाना चाहिए क्योंकि एमआरआई ऐसे मरीज के लिए सुखदायक नहीं हैं।
श्री सिद्धू ने आगे कहा कि इलाज ऑडिट कमेटी में अस्पताल के संबंधित मैडीकल विभाग, ऐनस्थीसिया और ईएनटी के मैंबर शामिल होने चाहिएं, जैसे कि संबंधित स्वास्थ्य संस्था के प्रिंसिपल / एमएस / मैनेजमेंट द्वारा फैसला किया गया हो।
उन्होंने कहा कि जिलों को लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए आईईसी गतिविधियां चलानी चाहीए कि मिकोरमाईकोसिस व्यक्ति से व्यक्ति में नहीं फैलता।