PANCHKULA: साहित्यिक संस्था उमंग अभिव्यक्ति मंच पंचकूला ने ‘यारां नाल बहारां’ के नाम से एक ऑनलाइन काव्य संध्या का आयोजन किया। मंच की फाउंडर नीलम त्रिखा व शिखा श्याम राणा ने बताया कि लॉकडाउन में तनाव को कम करने के लिए मंच इस तरह के कार्यक्रम करता रहता है, जिसमें लोग कविताओं के माध्यम से खुलकर अपनी बात को रखें। सभी ने इस कार्यक्रम की बहुत प्रशंसा की और चंडीगढ़ ट्राइसिटी के अलावा अन्य शहरों से भी इस कार्यक्रम में रचनाकारों ने हिस्सा लिया।
डॉक्टर ममता सूद को कुरुक्षेत्र इकाई का प्रमुख बनाया
इस कार्यक्रम में कुरुक्षेत्र से जुड़ी वरिष्ठ साहित्यकार डॉक्टर ममता सूद को कुरुक्षेत्र इकाई का हेड घोषित किया गया, जो कि उमंग अभिव्यक्ति मंच की तरफ से वहां की साहित्यिक गतिविधियों को संभालेंगी और इस मंच को आगे बढ़ाएंगी। पंचकूला में भी 7 मेंबर की कार्यकारिणी टीम बनाकर उनका स्वागत किया गया, जो कि साहित्य के क्षेत्र में आगे बढ़कर नवोदित कवियों को आगे बढ़ाने का कार्य करेंगे। यह टीम मोटिवेशनल साहित्य के जरिए सभी में प्रोत्साहन भरने का भी कार्य कर रही है। इसके अलावा छोटे बच्चे, महिलाएं या बच्चियां इस मंच से जुड़कर कलम के माध्यम से लेखन में निखार के साथ अपने आप को प्रोत्साहित कर रहे हैं, जिनमें नीलम त्रिखा व शिखा श्याम के अलावा सीता श्याम, निशा वर्मा, मणि शर्मा, शीनू वालिया, अलका शर्मा शामिल हैं।
कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले रचनाकारों में नीलम त्रिखा, शिखा श्याम राणा, शीनू वालिया, डॉक्टर ममता सूद कुरुक्षेत्र, गरिमा गर्ग, रेनू अब्बी, आरती प्रिय, सीता श्याम आरती, कविता रोहिल्ला कुरुक्षेत्र, अलका शर्मा, निशा वर्मा, नीरजा शर्मा, डॉक्टर प्रज्ञा शारदा, राधा अग्रवाल कुरुक्षेत्र, संगीता शर्मा कुंद्रा, आभा मुकेश सहानी, सतवंत कौर गोगी गिल, सुनीता गर्ग, दिलप्रीत, स्नेहलता आदि शामिल थीं। नीलम त्रिखा ने अपनी कविता दोस्तों को समर्पित करते हुए कहा,
यह सपने हमारे सच ना होते… तुम जो हमारे मीत ना होते….
मणि शर्मा “मनु” ने कहा,
लौटा दो वो बचपन,वो प्यारा सा जीवन
वो सखियों के मेले, ना कोई झमेले
डाॕ. ममता सूद कुरुक्षेत्र ने कहा,
जब मिले दोस्त पुराने,साथ लाये दिन सुहाने,
दिल प्रीत “दीपाली” ने कविता,
दोस्ती है दुनिया का सबसे खूबसूरत रिश्ता
नहीं है कोई मुकाबला जिसका
दोस्ती न केवल पास लाती है अजनबी को
बल्कि थाम लेती है दूर जाते हर रिश्ते को, सुनाई।
डॉ. प्रज्ञा शारदा ने अपनी रचना,
जब हम छोटे बच्चे थे, दोस्त बड़े ही पक्के थे, प्रस्तुत की।
कविता रोहिला कुरुक्षेत्र ने अपनी कविता में कहा,
मंच पर आकर धमाल मचाना
सखियों के संग हंसना हंसाना
शीनू वालिया ने दोस्ती को अपनी ज़िन्दगी बताते हुए कहा, ग़मों को पल में खुशिओं में बदल दे दोस्ती वो है ।
बिना बोले ही सब कुछ जो समझ ले दोस्ती वो है।
मेरी तो ज़िन्दगी भी दोस्ती और बंदगी भी वो है।
ममता ममता सूद कुरुक्षेत्र ने कहा, दोस्ती से बढ़कर कुछ भी नहीं दुनिया में यारों…
नीरजा शर्मा ने सखियों को मन वसंत बताते हुए अपनी कविता पढ़ी। अलका शर्मा ने कहा, हम कहे ना कहे दोस्त करीब होते हैं, अनकही बातों के समीप होते हैं।
राधा अग्रवाल ने कहा, दुःख सुख दे विच होन्दे नाल, कद सवेर होन्दी कद शाम। यारी होन्दी यारा नाल
सीता श्याम ने अपनी कविता यारों के संग बीता ज़माना याद वो कहानी करते हैं, जब हम थे बाँके जवाँ याद वो जवानी करते हैं, सुनाई।