CHANDIGARH: चंडीगढ़ प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष दीपा दुबे ने कहा है कि मार्च 2020 से लोग कोरोना के साय में रह रहे हैं। जिस प्रकार से देश की अर्थव्यवस्था डगमगा गई है और लोगो की नौकरी कोरोना की वजह से चली गई है उसको देखते हुए प्रशासन को ईडब्ल्यूएस के अंतर्गत गरीबों को मिले मकानों की किस्तें माफ कर देनी चाहिए लेकिन हो इससे उलट रहा है। इन गरीब लोगों को कोविड-19 के चलते अपनी जिंदगी बचाना मुश्किल हो रहा है लेकिन ल प्रशासन के द्वारा नोटिस पर नोटिस इन गरीब लोगों को भेजकर मानसिक रूप से तंग किया जा रहा है।
दीपा दुबे ने एक बयान जारी कर कहा कि रेहड़ी-फड़ी और वेंडर जोन के लाइसेंस की फीस भी लगातार वसूली जा रही है और उन पर पिछले साल जून से पेनल्टी लगाई जा रही है जबकि कोरोनाकाल में कभी भी आज तक वेंडर जोन में बैठे दुकानदार पूर्ण रूप से अपनी दुकाने नहीं खोल सके। जब रोजी रोटी के लाले पड़ गए हैं तो लाइसेंस फीस नगर निगम किस लिए ले रहा है। बीजेपी शासित नगर निगम गरीब तबके को नोटिस व पेनल्टीया लगा कर मानसिक व आर्थिक रूप से तंग कर रहा है।
दीपा दुबे ने चंडीगढ़ के प्रशासक वीपी सिंह बदनोर से कहा है कि एक तरफ तो प्रशासक ने कहा था कि मकान मालिक किरायेदारों को किराए में छूट दे क्योंकि कोरोना के चलते बहुत सारे लोग अपनी डगमगाए हुई अर्थव्यवस्था से दुखी हैं और कुछ लोग अपनी नौकरियां खो चुके हैं लेकिन कहने में और करने में बहुत फर्क है, यह चंडीगढ़ के प्रशासक ने सिद्ध कर दिया, क्योंकि एक तरफ तो मकान मालिकों के लिए फरमान जारी किया लेकिन दूसरी तरफ चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड और नगर निगम गरीब लोगों के ऊपर नोटिस और पेनल्टीया लगा कर गरीब लोगो पर अत्याचार पर अत्याचार कर रहा है।
दीपा दुबे ने यह भी कहा कि कोरोनाकाल में चंडीगढ़ के एस.सी.एफ में रहने वाले दुकानदारों को प्रॉपर्टी टैक्स के नोटिस चंडीगढ़ निगम द्वारा भेजे जा रहे हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पिछले 7 सालों के प्रॉपर्टी टैक्स के रिकवरी के नोटिस आज कोरोनाकाल में दुकानदारों को भिजवा दिए गए। एक तरफ तो पिछले 1 साल से कारोबार बिल्कुल ठप है और पिछले 7 सालों में नगर निगम ने यह कभी सुध नहीं ली कि एस.सी.एफ में रहने वालों से प्रॉपर्टी टैक्स नगर निगम द्वारा लिया गया है या नहीं।
दीपा दुबे ने प्रशासन से यह भी मांग की कि नगर निगम को आदेश दिए जाएं कि जब तक कोरोना खत्म नहीं हो जाता तब तक इस तरीके की कोई वसूली न की जाए। दीपा ने अंत में कहा कि प्रशासन को जनता के हित में कार्य करने चाहिए, न कि अहित में।