KATHMANDU: नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी.शर्मा ओली संसद में विश्वास मत हार गए हैं। नेपाल की प्रतिनिधि सभा के विशेष सत्र में प्रधानमंत्री ओली की ओर से पेश किये गए विश्वास प्रस्ताव के समर्थन में उनकी पार्टी को कुल 93 मत मिले, जबकि 124 सदस्यों ने इसके खिलाफ मत दिया। नेपाल की 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में फिलहाल चार सदस्य निलंबित चल रहे हैं, ऐसे में ओली को इस विश्वासमत को जीतने के लिए 136 मतों की जरूरत थी। लेकिन, ऐसा नहीं हो सका, जिसके बाद नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने सभी दलों से बहुमत का दावा करने का आह्वान किया। जानकारी के लिए बता दें कि राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी के निर्देश पर नेपाल की संसद के निचले सदन में विश्वास मत पर वोटिंग के लिए विशेष सत्र बुलाया गया था।
विश्वास मत में नहीं पा सके ओली बहुमत
नेपाल की निचली संसद में हुए विश्वास मत के खिलाफ 124 वोट पड़े। इस दौरान 15 सांसद तटस्थ रहे, जबकि 35 सांसद वोटिंग से ही गायब रहे। बताना चाहेंगे कि पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ नीत नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद ओली सरकार अल्पमत में आ गई थी। इसके बाद प्रधानमंत्री ओली को निचले सदन में बीते सोमवार को बहुमत साबित करना था। इस दौरान सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) ने अपने सभी सांसदों को व्हिप जारी कर प्रधानमंत्री के पक्ष में मतदान का अनुरोध किया था।
सितंबर 2015 में लागू किए गए नए संविधान ने बाद यह पहला मौका है जब कोई सरकार विश्वास मत हार गई है। नेपाल में अब संवैधानिक नियमों के मुताबिक नई सरकार का गठन होगा। इसके लिए राष्ट्रपति ने सभी दलों को सरकार बनाने का प्रस्ताव दिया है।
बीते वर्ष शुरू हुआ था राजनैतिक संकट
नेपाल में राजनैतिक संकट बीते वर्ष 20 दिसंबर को तब शुरू हुआ जब राष्ट्रपति भंडारी ने प्रधानमंत्री ओली की अनुशंसा पर संसद को भंग कर 30 अप्रैल और 10 मई को देश में नए चुनाव कराने का निर्देश दिया था। ओली को फरवरी, 2018 में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल के समर्थन से देश का प्रधानमंत्री चुना गया था। इसके बाद फरवरी 2021 में नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने भंग की गई प्रतिनिधि सभा को बहाल करने का आदेश दे दिया था। ~(PBNS)