CHANDIGARH: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने अपनी सरकार की नशों के प्रति जीरो टॉलरेंस पॉलिसी का जिक्र करते हुए रीवार्ड पॉलिसी को मंजूरी दे दी है जिससे एन.डी.पी.एस. एक्ट के अंतर्गत नशों की बरामदगी के लिए जानकारी और गुप्त सूचना देने को उत्साहित किया जा सके।
मुख्यमंत्री ने इसको नशों के सौदागरों और तस्करों पर कार्यवाही करने के लिए सरकार की मदद करने में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए लोगों को प्रेरित करने वाला एक महत्वपूर्ण कदम करार दिया है।
डी.जी.पी. दिनकर गुप्ता के मुताबिक यह पॉलिसी सरकारी कर्मचारियों /मुखबिरों /स्रोतों को नशों की बड़ी मात्रा में बरामदगी और एन.डी.पी.एस. एक्ट-1985 और पी.आई.टी. एन.डी.पी.एस. एक्ट-1988 को सफलतापूर्वक लागू करने में उनकी भूमिका को पहचान प्रदान करेगी। रीवार्ड के स्तर का फ़ैसला सफल जाँच, मुकद्मा चलाने, ग़ैर-कानूनी तौर पर बनाई जायदाद को ज़ब्त करने और अन्य नशा विरोधी महत्वपूर्ण कामों के सम्बन्ध में केस-दर-केस के आधार पर लिया जायेगा।
यह फ़ैसला डी.जी.पी. द्वारा इस प्रकार की पॉलिसी लाने के रखे गए सुझाव की तर्ज पर लिया गया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की अध्यक्षता में 23 फरवरी को हुई नशों के खि़लाफ़ जंग की समीक्षा मीटिंग के दौरान यह सुझाव सामने आए हैं। गुप्ता ने खुलासा किया कि इस पॉलिसी अधीन योग्य व्यक्तियों की श्रेणी में मुखबिरों को शामिल किया जायेगा जिनकी सूचना नशीले पदार्थों /साईकोट्रोपिक पदार्थों /नियंत्रित पदार्थों और एन.डी.पी,.एस. एक्ट -1985 के चैप्टर 5-ए अधीन ग़ैर-कानूनी तौर पर एक्वायर की गई जायदाद को ज़ब्त करने का कारण बनती हो। अन्य योग्य श्रेणी में राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारी /कर्मचारी शामिल होंगे जैसे कि पुलिस, वकील, भारत सरकार की इन्फोर्समेंट एजेंसियों के अफ़सर, जिन्होंने नार्कोटिक्स ड्रग्ज़ /साईकोट्रोपिक पदार्थ /नियंत्रित पदार्थ या एन.डी.पी.एस. एक्ट-1985 अधीन सफल जाँच की हो या मुकदमे की पैरवी सफलतापूर्वक की हो या एन.डी.पी.एस. एक्ट-1985 के चैप्टर पाँच-ए के अंतर्गत ग़ैर-कानूनी तौर पर एक्वायर की गई जायदाद को ज़ब्त करने में सफलता हासिल की हो या पी.आई.टी. एन.डी.पी.एस. एक्ट-1988 अधीन एहतियाती हिरासत या कोई अन्य सफलता हासिल की हो, जो ए.डी.जी.पी. /एस.टी.एफ. और डी.जी.पी. पंजाब द्वारा नगद रीवार्ड के लिए योग्य समझी जाने वाली हो।
गुप्ता ने स्पष्ट किया कि सरकारी अधिकारी /कर्मचारी आम तौर पर अधिक से अधिक 50 प्रतिशत रीवार्ड के लिए योग्य होंगे। इस सीमा से अधिक रीवार्ड उन मामलों में ही विचारा जा सकता है जहाँ सरकारी अधिकारी /कर्मचारी ने स्वयं द्वारा बड़े निजी खतरे का सामना करने का खुलासा किया हो या बेमिसाल साहस का प्रदर्शन, सराहनीय पहलकदमी या असाधारण स्वभाव का प्रदर्शन किया हो या फिर जहाँ जब्ती के केस में सूचना लाने में उसके निजी यत्न मुख्य तौर पर जि़म्मेदार हों।
गुप्ता ने कहा कि यह रीवार्ड पूर्ण तौर पर ऐक्स-ग्रेशिया अदायगी होगी और अधिकार के मामले के तौर पर दावा नहीं माना जा सकता और रीवार्ड तय करने के लिए सक्षम अधिकारी का फ़ैसला अंतिम होगा। इसी तरह यह रीवार्ड रुटीन और सामान्य प्रकृति वाले कार्य के लिए मंजूर नहीं किया जाना चाहिए बल्कि केस के आधार पर होना चाहिए।
मिसाल के तौर पर मुखबिरों के लिए रीवार्ड जानकारी की सटीकता, उठाए गए जोखिम और पेश परेशानी के अलावा इन्फोर्समेंट एजेंसियों की की गई मदद के आधार पर तय किया जाना चाहिए जबकि सरकारी अधिकारियों /कर्मचारियों के लिए रीवार्ड विशेष कोशिशों और पहलकदमियों का प्रदर्शन करने पर आधारित होना चाहिए जिनमें साधन जुटाने और कार्यशील बुद्धि का संकलन, निगरानी के नतीजे स्वरूप सफलतापूर्वक जब्ती, विस्तृत जांच और नुक्स रहित मुकदमेबाज़ी और एहतियाती हिरासत का पैमाना होना चाहिए।
सरकारी अधिकारियों /कर्मचारियों और मुखबिरों को रीवार्ड अलग-अलग पड़ावों पर अदा किया जायेगा। जब्ती के केस में सरकारी अधिकारियों /कर्मचारियों को रीवार्ड ग़ैर-कानूनी नशों की मौजूदगी की पुष्टि सम्बन्धी फौरैंसिंक सांईंस लेबोरेटरी की रसीद मिलने के बाद दिया जायेगा। जांच के मामले में रीवार्ड सजा के बाद मिलेगा जबकि मुकदमे के मामले में जुर्म का सबूत सिद्ध हो जाने के बाद सम्बन्धित अधिकारियों को मिलेगा। ग़ैर-कानूनी तौर पर एक्वायर की गई जायदाद के मामले में एन.डी.पी.एस. एक्ट-1985 की धारा 68-प् के अंतर्गत सफलतापूर्वक जब्ती के बाद रीवार्ड सौंपा जायेगा। इसी तरह हिरासत केस में पी.आई.टी. एन.डी.पी.एस. एक्ट-1988 की धारा 9(एफ) के अंतर्गत हिरासत की पुष्टि हो जाने के बाद अधिकारी /कर्मचारी को रीवार्ड मिलेगा। इसी दौरान जब्ती के केस में ग़ैर-कानूनी नशों की मौजूदगी की पुष्टि संबंधी फोरेंसिक सईंस लेबोरेटरी की रिपोर्ट मिलने के बाद मुखबिरों को रीवार्ड हासिल होगा जबकि ग़ैर-कानूनी तौर पर एक्वायर की गई जायदाद के सम्बन्ध में सफलतापूर्वक जब्ती के बाद मुखबिरों को रीवार्ड दिया जायेगा।
रीवार्ड का दावा करने की विधि बारे बताते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि हर जि़ला /यूनिट /विभाग उक्त दिशा-निर्देशों अनुसार मामलों की पड़ताल के लिए सम्बन्धित कमिश्नर ऑफ पुलिस /एस.एस.पी. /यूनिट के प्रमुख /कार्यालय के प्रमुख के नेतृत्व में तीन सदस्यीय समिति का गठन करेगा जो रीवार्ड देने के लिए ए.डी.जी.पी. /एस.टी.एफ. को सिफारिशें करेगा। इन सिफारिशों की पड़ताल एस.टी.एफ. हैडक्वार्टर में अधिकारियों की समिति करेगी जो आगे इनको ए.डी.जी.पी. /एस.टी.एफ. या डी.जी.पी. /पंजाब के पास (ए.डी.जी.पी. /एस.टी.एफ. के द्वारा) रीवार्ड देने के लिए आगे भेजेगी। ए.डी.जी.पी. /एस.टी.एफ. एक लाख रुपए तक के रीवार्ड की राशि मंज़ूर करने के लिए अधिकृत होगा जबकि एक लाख रुपए से अधिक की राशि डी.जी.पी. द्वारा मंज़ूर की जायेगी। इस मंतव्य के लिए अपेक्षित बजट प्रबंध ए.डी.जी.पी., स्पेशल टास्क फोर्स, पंजाब को ऑबजेक्ट हैड ‘रिवार्ड’ अधीन रखा जायेगा।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि रीवार्ड की राशि (प्रति किलोग्राम) नार्काटिक ड्रग्ज़ एंड साईकोट्रोपिक सब्सटांस एक्ट, 1985 की धाराओं के अंतर्गत ज़ब्त किये गए पदार्थों के अनुसार होगी। अफ़ीम के मामले में 6000 रुपए, मौरफीन बेस और इसके साल्ट के लिए 20,000, रुपए, हेरोइन और इसके साल्ट के लिए 1,20,000, रुपए, कोकीन और इसके साल्ट के लिए 2,40,000 रुपए, हशीश के लिए 2000 रुपए, हशीश तेल के लिए 10,000 रुपए, गाँजा के लिए 600 रुपए, मैडरैक्स टेबलेट्स के लिए 2000 रुपए, एमफेटामाईन और इसके साल्ट और रचना के लिए 20,000 रुपए, मेथामैफटेमीन और इसके साल्ट और रचना के लिए 20,000 रुपए, एकसैस्टी की 1000 गोलियाँ या 3/4 मैडमा के लिए 15,000 रुपए, ब्लॉट फॉर लसिर्जक एसिड डाईथाईलाईमाईड (एल.एस.डी.) के लिए 30 रुपए, चूरा पोस्त के लिए 240 रुपए (मार्केट में मौजूदा कीमत का 20 प्रतिशत), इफेड्रिन और इसके साल्ट और रचना के लिए 280 रुपए, स्यूडो-एफेड्राईन और इसके साल्ट और तैयारी के लिए 480 रुपए, ऐसिटिक एनहाइड्राइड के लिए 10 रुपए प्रति लीटर, केटामाईन और इसके साल्ट और रचना के लिए 700 रुपए, एंथ्रानिलिक एसिड के लिए 45 रुपए, एन एसिटाइल एंथ्रानिलिक एसिड के लिए 80 रुपए, डायजेपाम और इसकी रचना के लिए 0.53 रुपए प्रति 5 मिलीग्राम टेबलेट, अल्प्राजोलम और इसकी रचना के लिए 0.20 रुपए प्रति 520 मिलीग्राम टेबलेट, लोरेजेपाम और इसकी रचना के लिए 0.296 रुपए प्रति 5 मिलीग्राम टेबलेट, अलप्रैक्स और इसकी रचना के लिए 0.52 रुपए प्रति 5 मिलीग्राम टेबलेट, बुप्रेनोरफाईन /टिडिजैसिक और इसकी रचना के लिए 25,000 रुपए, डेक्स्ट्रोप्रोपॉक्सीफेन और इसके साल्ट और रचना के लिए 2880 रुपए और फोर्टविन और इसकी रचना के लिए 1.044 रुपए प्रति 30 मिलीग्राम शीशी के लिए रखा गया है।