मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जेल विकास बोर्ड के प्रस्ताव को हरी झंडी दी
CHANDIGARH: जेल उद्योगों की छिपी हुई व्यापारिक संभावनाओं को अनलॉक करने और नये स्रोत पैदा करने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने गुरूवार को पंजाब जेल विकास बोर्ड (पी.पी.डी.बी.) द्वारा जेल विभाग की मलकीयत वाली ज़मीन पर इंडियन ऑयल कार्पोरेशन के 12 रिटेल आऊटलैट (परचून दुकान) स्थापित करने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी।
नये बनाए गए पी.पी.डी.बी. की पहली मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह को इन प्रोजेक्टों बारे बताया गया कि इससे जहाँ रिहा हुए 400 कैदियों को रोजग़ार मिलेगा वहीं 40 लाख रुपए प्रति महीना राजस्व आने की संभावना है। बोर्ड के मैंबर सचिव ए.डी.जी.पी. (जेलं) प्रवीण सिन्हा ने मुख्यमंत्री को जानकारी देते हुए बताया कि अच्छे व्यवहार वाले कैदियों को भी इन आऊटलैट पर रोजग़ार दिया जायेगा और महिला कैदियों को प्राथमिकता दी जायेगी।
मुख्यमंत्री ने कैदियों द्वारा तैयार किये जाने वाले सभी उत्पादों का मार्केटिंग के लिए ब्रांड नाम ’ऊजाला पंजाब’ रखने को भी मंजूरी दे दी। जेलों में स्थापित सभी फ़ैक्टरियाँ, मौजूदा समय में पी.पी.पी. मोड पर पंजाब की जेलों में चल रहे प्रोजेक्टों और ओपन जेल नाभा में की जातीं व्यापारिक गतिविधियों को संभालने की भी बोर्ड को मंजूरी दी गई।
मौजूदा समय में जेलों में हो रही कुछ व्यापारिक गतिविधियों बारे मुख्यमंत्री को संक्षिप्त जानकारी देते हुए सिन्हा ने कहा कि बोर्ड अधीन जेलों की फ़ैक्टरियों में बैडशीटें, तौलिए, मौप्स, फर्नीचर, स्टेशनरी, साबुन, फिनायल और सैनीटाईजऱ जैसे उत्पाद तैयार किये जाएंगे। ए.डी.जी.पी. सिन्हा ने मुख्यमंत्री से अपील की कि इन उत्पादों को वित्तीय नियमों के मौजूदा प्रबंधों अनुसार अलग-अलग सरकारी विभागों द्वारा सीधा ही खरीदा जाये। उन्होंने कहा कि बोर्ड द्वारा मिल्कफैड और मार्कफैड की माँगों की पूर्ति के लिए एक नालीदार बक्सों (कोरेगेटिड बॉक्स) के निर्माण यूनिट स्थापित करने की भी योजना बनाई जा रही है। बोर्ड को जेल फ़ैक्टरियों में बने उत्पादों की सप्लाई के लिए पंजाब सरकार के अलग-अलग विभागों के साथ सहयोग करने के लिए भी मंजूरी दे दी गई है।
सिन्हा ने बताया कि इन प्रोजेक्टों को व्यापारिक तौर पर कारगर और लाभप्रद बनाने के लिए पी.पी.पी. ढंग के अंतर्गत बहुत सी इकाईयाँ स्थापित की जाएंगी और 3000-4000 कैदियों को कौशल प्रशिक्षण दिया जायेगी जिससे रिहाई के बाद वह अलग-अलग स्थानों पर रोजग़ार लेने के योग्य बन सकें।
मुख्यमंत्री ने बोर्ड द्वारा पंजाब तकनीकी और स्कूल शिक्षा विभागों के साथ गठजोड़ करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी जिसके अंतर्गत जेल के अंदर आई.टी.आई स्थापित की जाएंगी और जेलों में कैदियों को प्रशिक्षण देने के लिए नेशनल ओपन स्कूल /यूनिवर्सिटी कोर्स भी चलाए जाएंगे जिससे रिहाई के बाद उनको रोजग़ार के योग्य बनाने के लिए मदद मिले। श्री सिन्हा ने सुझाव दिया कि पढ़े-लिखे कैदी, जिनकी दो या और ज्यादा सालों की कैद बाकी है, को शिक्षा विभाग द्वारा अध्यापक बनने का प्रशिक्षण दिया जा सकता है जिससे वह अन्य कैदियों को शिक्षित कर सकें और उनको ओपन स्कूल और यूनिवर्सिटियों के कोर्सों को पास करने में सहायता कर सकें।
इन प्रोजेक्टों के स्थापन को यकीनी बनाने के लिए मुख्यमंत्री ने सलाहकारों (तकनीकी निर्देशक /सलाहकारों, लेखाकारों आदि) की नियुक्ति के लिए बोर्ड के प्रस्तावों को भी मंजूरी दी।
मुख्यमंत्री ने बोर्ड के ग़ैर सरकारी मैंबर और सरबत दा भला ट्रस्ट के प्रशासनिक ट्रस्टी एस.पी.एस. आबरॉए द्वारा कैदियों के लिए जेलों में पाँच मैडीकल लैबोरेटरियाँ स्थापित करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी। इन लैबों को स्थापित करने का खर्चा ट्रस्ट द्वारा किया जायेगा।
मीटिंग में जेल और सहकारिता मंत्री सुखजिन्दर सिंह रंधावा, प्रमुख सचिव जेल डी.के. तिवारी, प्रमुख सचिव उद्योग आलोक शेखर, प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा अनुराग वर्मा और सचिव शिक्षा कृष्ण कुमार भी उपस्थित थे।