आज की कविता: रक्त संबंध
चुप रहने दो मुझे
नहीं करनी कोई बात
मत करो कोई सवाल
नहीं रहा कोई जवाब।
करने दो आराम मुझे
नहीं कहीं जाना मुझे
थम जा ज़िन्दगी जरा
नहीं कुछ पाना मुझे।
उदास हूं मैं बहुत
मत बुलाओ तुम मुझे
तन्हा हूं मैं बहुत
मत सताओ तुम मुझे।
मैं किसी की नहीं
ना कोई मेरा है
नहीं करनी कोई तकरार
ना ही कोई झगड़ा है।
रक्त संबंध सदा चले
ये ज़रूरी तो नहीं
ग़ैर ही बेहतर भले
उनसे कोई गिला नहीं।
- प्रज्ञा शारदा, चंडीगढ़।
9815001468
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