शहीदों के आश्रितों के नाबालिग बच्चे के लिए भी नौकरी रहेगी आरक्षित, पंजाब सरकार ने नीति में किया संशोधन

CHANDIGARH: मंत्रीमंडल ने सोमवार को युद्ध नायकों या उनके आश्रितों के सम्मान और कृतज्ञता के तौर पर नौकरी देने सम्बन्धी नीति में संशोधन करने की मंज़ूरी दे दी है। मंत्रीमंडल ने यह मंज़ूरी मौजूदा नीति के अंतर्गत शहीद या विकलांग सैनिकों के आश्रितों को नौकरी लेने में पेश समस्याओं को घटाने के मद्देनजऱ दी है।

जि़क्रयोग्य है कि उपरोक्त नीति 19 अगस्त, 1999 को नोटीफायी की गई थी, जिससे राज्य सरकार शहीद या विकलांग सैनिक के अतुल बलिदान के संदर्भ में एक निर्भर पारिवारिक सदस्य को सरकारी नौकरी मुहैया करवा सके। आज यहाँ यह प्रगटावा करते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि समय बीतने के साथ निर्भर पारिवारिक सदस्यों को पेश मुश्किलों के मद्देनजऱ इस नीति में संशोधन करने की तत्काल ज़रूरत महसूस की गई।

यहाँ यह भी बताने योग्य है कि मुख्यमंत्री ने 14 फरवरी, 2020 को शहीदों के आश्रितों, जिनको नियुक्ति पत्र दिए गए थे, के साथ मुलाकात की थी, जिस दौरान यह मामले मुख्यमंत्री के ध्यान में लाए गए, जिसके बाद उन्होंने पहल के आधार पर इनको हल करने का भरोसा दिया था। नीति में संशोधन के साथ शहीद की विधवा यदि ख़ुद नौकरी लेने की इच्छा नहीं रखती तो इस सूरत में परिवार को उसके नाबालिग बच्चे के लिए नौकरी आरक्षित रखने की इजाज़त देगी।

इस नीति में एक अन्य उपबंध भी किया गया है कि शहीदों की विधवाओं, जो गंभीर वित्तीय मुश्किलों के कारण ग्रुप-डी के पदों की नौकरी करने के लिए मजबूर थीं, को शैक्षिक योग्यता बढ़ाने के मुताबिक ग्रुप-सी की नौकरी की इजाज़त होगी। प्रवक्ता ने आगे बताया कि कुछ अन्य अलग-अलग संशोधनों समेत इन संशोधनों के साथ शहीदों द्वारा दिखाई गई शूरवीरता के सत्कार में उनके आश्रितों को मुहैया करवाए जा रहे लाभ हासिल करने के लिए रास्ता साफ होगा।

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