NEW DELHI: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को भारतीय नौसेना के सबसे पुराने एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विराट को कबाड़ में तब्दील करने पर रोक लगा दी है। इसके अलावा कोर्ट ने इस संबंध में उस कंपनी को भी नोटिस जारी किया है जिसने इस जहाज को खरीदा था। आईएनएस विराट भारतीय नौसेना की पहचान और इसकी संस्कृति का एक अहम हिस्सा रहा है। आईएनएस विराट लगभग 29 वर्षों तक नौसेना के साथ रहा है। जहाज के रिटायर होने से पहले इसमें पांच नेवी चीफ तैनात रह चुके हैं। आईएनएस विराट नवंबर 1959 में बतौर एचएमएस हेरम्स के नाम के साथ ब्रिटिश नेवी का हिस्सा बना था। यह जहाज दुनिया का पहला ऐसा एयरक्राफ्ट कैरियर है, जिसके नाम सर्वाधिक नेवल ऑपरेशंस में शामिल होने का विश्व रिकॉर्ड है। आईएनएस विराट भारतीय नौसेना की पहचान और हिंद महासागर पर भारत का बादशाह था। आईएनएस विराट छह मार्च को 2017 को रिटायर हो चुका है।
56 साल का शानदार सफर
आईएनएस विराट 12 मई 1987 को भारतीय नौसेना में एचएमएस हेरम्स के नाम से कमीशन हुआ था। बाद में इसका नाम एचएमएस हेरम्स से बदलकर आईएनएस विराट हो गया। इस वॉरशिप का निर्माण जून 1944 में शुरू हुआ था और 18 नवंबर 1959 में इसे रॉयल नेवी में कमीशंड किया गया था। रॉयल नेवी से वर्ष 1985 में डी-कमीशंड होने के बाद यह वॉरशिप 56 वर्षों का सफर तय कर चुकी है।
कारगिल की जंग का साइलेंट हीरो
आईएनएस विराट को दुनिया का सबसे पुराना और भारतीय नौसेना का लीजेंडरी एयरक्राफ्ट कैरियर होने का गौरव हासिल है। खुद में कई बरसों का इतिहास समेटने वाले विराट को साल 1999 में कारगिल की जंग के दौरान स्टैंडबाई मोड पर रखा गया था। तत्कालीन सरकार को इस जहाज पर पूरा भरोसा था कि आपातकाल की स्थिति में यह जहाज महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।
पांच नेवी चीफ रहे हैं तैनात
पूर्व नेवी चीफ एडमिरल सुनील लांबा आईएनएस विराट पर एग्जिक्यूटिव ऑफिसर रह चुके हैं। इसके अलावा रिटायर्ड एडमिरल निर्मल कुमार वर्मा, पूर्व नेवी चीफ रिटायर्ड एडमिरल माधवेंद्र सिंह, रिटायर्ड एडमिरल अरुण प्रकाश, और रिटायर्ड एडमिरल देवेंद्र कुमार जोशी आईएनएस विराट पर बतौर कमांडिंग ऑफिसर तैनात रह चुके हैं।
आईएनएस विराट दुनिया की सबसे पुरानी वॉरशिप है। इसलिए यह गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल है। साल 2012 तक आईएनएस विराट ने 40,000 घंटे से ज्यादा का समय पानी पर बिता लिया था और इसने करीब दुनिया के सात समंदरों पर 5,00,000 किलोमीटर की दूरी तय कर ली थी। इसके अलावा इस एयरक्राफ्ट के डेक से 20,000 घंटे की फ्लाइंग का भी रिकॉर्ड दर्ज है। https://www.guinnessworldrecords.com/world-records/oldest-aircraft-carrier-in-service-)
सबसे बड़ा ऑपरेशन विराट के नाम
आईएनएस विराट ने भारतीय नौसेना के सबसे बड़े ऑपरेशन– “ऑपरेशन ज्यूपिटर” में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। जुलाई 1989 में शुरू हुआ यह ऑपरेशन भारत-श्रीलंका के बीच हुए एक समझौते के तहत शुरू हुआ था। इस ऑपरेशन के समय श्रीलंका में गृहयुद्ध चल रहा था। उस दौरान इस वॉरशिप के जरिए कोच्चि से 76 सॉर्टीज को अंजाम दिया गया था और इसकी मदद से 350 जवानों को पहुंचाया गया था।
दक्षता के मामले में अव्वल दर्जे का जहाज
आईएनएस विराट का कुल भार 23,900 टन है और यह 226.5 मीटर लंबा और 48.78 मीटर चौड़ा युद्धपोत है। इस युद्धपोत पर 150 ऑफिसर्स और 1500 सेलर्स का क्रू की क्षमता है। यह वॉरशिप एक छोटे से शहर की तरह है। इस पर लाइब्रेरी, एटीएम, टीवी, जिम और वीडियो स्टूडियो से लेकर हॉस्पिटल और डेंटल केयर सेंटर भी है। आईएनएस विराट की एयर स्क्वाड्रन में इंसास 300 सी फ्लाइंग हैरियर्स यानी ‘व्हाइट टाइगर्स’, इंसास 552 द ‘ब्रेव्स’ फ्लाइंग सी हैरियर्स, इंसास 321 ‘एंजल्स’ चेतक और इंसास 330 ‘हारपून’ फ्लाइंग सी किंग्स शामिल थे। आपातकालीन के समय इस जहाज से 30 हैरियर्स को एक साथ ऑपरेट किया जा सकता था।
जीवनदान देने की हुई पुरजोर कोशिश
‘ग्रांड ओल्ड लेडी’ के नाम से पहचाना जाने वाला आईएनएस विराट मई , 1987 में भारतीय नौसेना के परिवार का हिस्सा बना था। देश को 30 साल की सेवा देने के बाद इसे 6 मार्च, 2017 को रिटायर कर दिया गया था। इसके बाद ‘विराट’ को संग्रहालय या रेस्तरां में बदलकर ‘जीवनदान’ देने की भी कोशिशें हुईं लेकिन इसी बीच गुजरात के अलंग स्थित श्रीराम ग्रुप ने 38.54 करोड़ रुपये की बोली लगाकर जहाज को अपने नाम कर लिया। इस के बाद यह जहाज मुंबई स्थित डॉकयार्ड से भावनगर (गुजरात ) जिले के अलंग में दुनिया के सबसे बड़े जहाज विघटन यार्ड में पहुंचाया गया। इस बीच मुंबई की कंपनी एनविटेक मरीन कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड जहाज को ‘जीवनदान’ देकर समुद्री संग्रहालय में बदलने के लिए आगे आई। (PBNS)